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Thursday, February 2, 2012

नक्सली कहानी : मराठों बिच उत्तरी !

मुम्बई की एक सड़क के किनारे एक युवक ठेले से फल बेँच रहा था .मराठा दल के कुछ युवक तलवारेँ व डण्डा लेकर आ गये .वे मराठी भाषा मेँ चीखते व चिल्लाते जा रहे थे . जिसका हिन्दी मेँ मतलब था- मुम्बई मराठोँ की है .इन साले उत्तरीयोँ को कुचलोँ मारो ,जब तक मुम्बई छोँड़ कर भाग न जायेँ.


मराठा दल के युवक हिन्दीभाषियोँ की दुकानोँ ,ठेलोँ ,आदि को उजाड़ने लगे व दुकानदारोँ से मारपीट करने लगे.जब वे कुछ मुस्लिम युवकोँ की दुकानोँ पर तोड़फोड़ व उजाड़ करने लगे व एक फल के ठेले वाले को ललकारा तो ठेले वाला युवक स्वयं अपना ठेला पलट कर सीना तान खड़ा हो गया और चीखा- मैं भारतीय मुसलमान हूँ भारतीय मुसलमान ,बोलो मेरा प्रदेश कौन सा है ? बोलो .मैँ कहाँ जाऊँ ?

इसके बाद आसपड़ोस से मुसलमान ठण्डे ,लाठी,आदि लेकर इकट्ठे होने लगे . मराठा दल वाले भाग खड़े हुए .



मराठा दल के द्वारा एक अधेड़ ब्यक्ति मारा जा चुका था.जो फुटपाथ पर एक स्थान पर चाय बना कर बेँचता था .उसका बेटा जो की नक्सलियोँ के लिए काम करने लगा था ,उसका नाम था दिव्य धोबी. दोनोँ पाँच साल पहले ही अपना गांव छोड़ कर मुम्बई आ गये थे . नासिक से पच्चीस किलोमीटर दूर एक गांव 'अहिरान कूर्म' गांव मेँ इनके साथ एक घटना घट गयी थी .
पांच वर्ष पूर्व 'अहिरान कूर्म' गांव मेँ दिव्य धोबी .....!?दिव्य धोबी
गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित एक कालेज 'कूर्मांचल यदु इण्टर कालेज, कुरु बिहार ,अहिरान कूर्म ,नासिक' मेँ कक्षा बारह का छात्र था. जिसकी बड़ी बहिन दिव्या देवी इसी कालेज मेँ अध्यापिका थी .कालेज के प्रधानाचार्य थे -तिलक व जटाधारी नरदेव शास्त्री . दिव्या देवी के प्रति जिसकी नियति ठीक नहीं थी . नरदेव शास्त्री का एक भाई मराठा दल का नगर अध्यक्ष था,जिससे पूरा नगर उसकी दबंगयी व मनमानी
से परेशान था विशेष कर सीधे साधे व सज्जन.


दिव्या देवी पर काफी दबाव था .उसका वश चलता तो वह कालेज के गेट की ओर देखना तक पसंद नहीं करती लेकिन पारिवारिक आर्थिक तंगी ने अनेक समस्याएं पैदा कर रखी थीँ .अधेड़ पिता परचूनी की दूकान चला तो रहे थे लेकिन दुकान की आमदनी से चार लड़कियों व दो लड़कों को पालना व उनकी शिक्षा व स्वास्थय की व्यवस्था बनाए रखना बड़ा कठिन था और ऊपर से जवान दो लड़कियों के शादी हेतु धन की व्यवस्था करने की
चिन्ता.दिव्या की माँ रागिनी देवी रक्त कैँसर से पीड़ित थी ,जिसके इलाज का खर्चा . दिव्या देवी अपने चरित्र से नहीं फिसली लेकिन नरदेव शास्त्री की छेंड़खानी बढ़ गयी .आखिर अवसर पाकर वह व कालेज प्रबंधक कालिका देव कुणवी दिव्या देवी का रेप कर बैठे .जब अनेक प्रलोभन के बाबजूद वह शान्त न हुई तो ....?! दिव्या देवी की हत्या कर दी गयी.कालेज का एक अध्यापक जावेद अली पटेल जब वहाँ पहुंचा तो उसे
खामोश रहने के लिए कहा गया .

लेकिन ....?!

"मैं मुसलमान हूँ , मुसलमान .( जावेद अली पटेल ने अपने मोबाइल से किसी नम्बर पर कालिंग प्रारम्भ कर दी थी) मैँ काफिर नहीं हूँ जो सत से मुकर जाये.नरदेव शास्त्री तूने अपनी बेटी की उम्र की दिव्या से कुकर्म कर उसकी हत्या कर दी ? मेरे पास तेरे खिलाफ अनेक सबूत हैं .अब तू...."

* * * * *


दिव्य धोबी को जावेद अली के माबाईल से कालिँग से स्थिति का संज्ञान हो गया था.जावेद अली दिव्या देवी की हत्या के आरोप मेँ जेल मेँ था जहाँ जेल प्रशासन के अनुसार उसने आत्महत्या की थी लेकिन दिव्य धोबी के साथ साथ हिन्दीभाषी व मुस्लिम जनता इसे हत्या मान रही थी.मीडिया के पास भी असलियत पहुँच चुकी थी.जेल के अन्दर बंद नक्सली जावेद अली पटेल के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गये थे. नरदेव
शास्त्री का भाई -रविकान्त ,जो कि मराठा दल से था - हिन्दू मुस्लिम रंग दे साम्प्रदायिक दंगे करवाने की योजना बना बैठा.ऐसे मेँ साम्प्रदायिक दंगों के बीच दिव्य धोबी के साथ कुछ चंद लोग रह गये जो स्वयं उसके व जावेद अली पटेल के परिवार से थे.आखिर मेँ फिर नक्सली नेता दिव्य धोबी की मदद करने को सामने आये और कुछ मुसलमानोँ के सहयोग से कालेज के प्रधानाचार्य व प्रबंधक की भी हत्या कर दी
गयी ,जिस पर साम्प्रदायिक दंगो की चादर चढ़ गयी.

पाँच साल बाद अब मुम्बई !

मराठा दल के युवक दिव्य धोबी के पिता की हत्या कर चुके थे. रविकान्त वर्तमान मेँ विधायक था.जिसके आवास को हिन्दी भाषियों व मुसलमानोँ ने घेर रखा था.दो दिन बाद जिन पर लाठी चार्ज कर दी गयी.दिव्य धोबी ने अपने नक्सली साथियों के

पूना के एक होटल को घेर लिया जहाँ रविकान्त एक कमरे मेँ युवतियोँ से अपने शरीर मेँ मालिश करवा रहा था.चंद मिनट बाद जिसकी हत्या कर दी गयी .

Monday, January 9, 2012

हमारा विधायक कैसा हो ?

हम अपने विधायक से उम्मीद रखते हैँ कि वह जिस तरह से चुनाव के दौरान जिस उत्साह से जनता के बीच बने रहते हैँ उसी तरह से अपने पंचवर्षीय कार्यकाल मेँ विधानसभा सत्र के समय के अतिरिक्त शेष समय जनता के बीच बने रहेँगे और किसी व्यक्ति ,जाति ,मजहब की भावना से ऊपर उठ कर क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित रहेँगे .चुनाव जीतने बाद उनमेँ वोट की राजनीति का भाव न रहेगा वरन अपने क्षेत्र की जनता
को
भेदभाव से मुक्त हो अपनी जनता मान उसके प्रति सेवाभाव रखेगा .वह अपने मेँ सत्तावाद के अहम को नहीँ आने देँगे. विधायक के कर्तव्य अपने पूरे क्षेत्र व पूरी जनता के प्रति होते हैँ ,ऐसे मेँ वह इस पर ध्यान न दे कि हमेँ किसने वोट दिया कि नहीँ दिया ,पूरे क्षेत्र व पूरी जनता के प्रति हमदर्द होना चाहिए . आवारा पशुओँ ,दबंगोँ ,आदि के खिलाफ विशेष अभियान चलाते हुए सड़कोँ पर इधर उधर इकट्ठे
झुण्ड़ोँ के खिलाफ निरन्तर कार्यवाही होते रहना चाहिए.जिले की भौगोलिक संरचना सुधारने के लिए जिले को दो जिले के रुप मेँ विभक्त करने की पुरानी माँग के साथ साथ रुहेलखण्ड राज्य के निर्माण की माँग विधान सभा मेँ उठायी जानी चाहिए .

<एस . डी . शास्त्री पत्नी
अशोक कुमार वर्मा 'बिन्दु'>