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Friday, January 24, 2020

25जनवरी-03फरबरी2020ई0!!गुप्त नव रात्रि पर हमारा चिंतन::अशोकबिन्दु

25 जनवरी-03फरबरी2020ई0!!गुप्त नवरात्रि पर्व!!!
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अपनी चेतना/आत्मा/स्व/आत्मीयता/अंतर सर्वव्यापक सम्वेदना/आदि गुप्त है,अन्तर्यामी है।उसके अहसास के लिए मौन आवश्यक है। किसी मनोवैज्ञानिक ने कहा है-जीवन के शुरुआती पच्चीस साल क्रीम एज है। वही ब्रह्मचर्य है,चिरयुवापन का ,चिर ब्रह्मचर्य का,चिर ब्राह्मणत्व का ,चिर क्षत्रियत्व का।ज्ञान/प्रकाश के दो स्तर हैं-बाह्य व अंत:/स्थूल व सूक्ष्म/सूक्ष्मतर से सूक्ष्मतर व कारण!!हमारी सम्पूर्णता गुप्त है,अन्तर्यामी है।हमारी साधनाएं ही उसे उजागर करती हैं।वह मौन व महसूस करने का विषय है।चिंतन व मनन को सुधारने/अभ्यास का विषय है।नजरिया की सफाई का विषय है।राम कृष्ण परमहंस कहते हैं-आत्मउत्थान है जगत की सेवा।स्वार्थ व परमार्थ एक सिक्के के दो पहलू है।जीवन रूपी रथ के दो पहलू है।......सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर!! अंदर प्रकाश प्रकाश में हम।।।झरोखे से अंदर आते प्रकाश में तैरते कणों की भांति!!!
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