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Friday, September 16, 2011

श्रुति कीर्ति:कुछ तश्वीरेँ

ये सब प्रकृति है.

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From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: "go@blogger.com" <go@blogger.com>
Date: शनिवार, 17 सितंबर, 2011 4:07:28 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: श्रुति कीर्ति:कुछ तश्वीरेँ

श्रुतिकीर्ति इस धरती पर दिन शुक्रवार 18 जून सन 2010ई0को इस धरती पर आयी.जन्मस्थान-बीसलपुर, जिला पीलीभीत,उप्र.पैत्रक भूमि-श्यामाचरन वर्मा आवास,ग्राम ददिउरी,थाना बण्डा,जिला शाहजहांपुर,उप्र.

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Wednesday, September 14, 2011

उप्र मेँ विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया से विषमताएं!

उत्तर प्रदेश मेँ बेसिक टीचर हेतु सन 2001 ई0 से विशिष्ट चयन प्रक्रिया जारी है.जिले स्तर की डयूटी हेतु नियुक्त इन टीचर्स के लिए इस चयन प्रक्रिया से जिले स्तर पर अनेक विषंगतियां देखने को मिलती हैं. पिछली चयन प्रक्रियाओं से जिले बाहर के निवासी अध्यापक नियुक्त होने के कारण जिले मेँ अनेक समस्याएं बनी हुई हैँ.या फिर इस सर्विस को प्रदेश स्तर पर और नियुक्त प्रदेश स्तर की मेरिट के आधार पर हो.अन्यथा सभी अभ्यार्थियों को सिर्फ अपने अपने गृहजनपद मेँ ही आवेदन करने की अनुमति हो.

अब जो विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया प्रारम्भ होने वाली है, उसमेँ बताते है कि प्रत्येक अभ्यार्थी तीन जिलों मेँ आवेदन कर सकेगा,आखिर ऐसा क्यों?अपने अपने गृहजनपद मेँ क्यों नहीँ या फिर प्रदेश स्तर पर एक आवेदन क्यों नहीँ?

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काले हिरन के प्रति ग्रामीणों का उत्साह!

इठलाती इतराती दोहा नदी को शाहजहांपुर मेँ गर्रा नदी के नाम से पुकारते हैँ.इस नदी के तराई मेँ इस समय सैकड़ों काले हिरनों के प्रति लोगों मेँ उत्साह बना हुआ है.


खुदागंज क्षेत्र मेँ ग्राम सथरापुर बहेड़ पुन्ना पुर खेड़ा मझखेड़ा एवं इसी से मिले जनपद पीलीभीत की सीमा के ग्राम खाड़ेंपुर आदि ग्रामों की सीमाओं से गुजरने वाली गर्रा नदी की तराई मेँ इस समय सैकड़ों काले हिरनों का झुण्ड कई माह से कुलाचेँ भरते हुये कोलाहल करके ग्रामीणों के कौतुहल का साधन बनेँ हुए हैँ.


वहीं चर्चा यह भी है कि गर्रा की इस तराई मेँ भारी खड़ी पतेल का सहारा लेते हुए दूर दूर के शिकारी आकर यहां काले हिरनों का शिकार भी कर रहे है जिसे लेकर कभी कभार ग्रामीणों व शिकारियों मेँ लाठी डण्ठे लेकर मारपीट की स्थिति की नौबत भी आ जाती है.वहीँ जनप्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा वन विभाग के लोगों को काले हिरनों के बारे मेँ उनके संरक्षण व शिकारियों पर रोक लगाये जाने के सम्बंध मेँ बार बार शिकायत करने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है. वहीँ लोगों का कहना है कि पूरी नदी की तलहटी मेँ शाम के समय मनहारी दृश्य बन जाता है..

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Thursday, September 1, 2011

शिक्षक दिवस : आज के शिक्षक अन्ना हजारे!

आज का शिक्षक मैं अन्ना हजारे को मानता हूँ.

हम अपना सामाजिक व समुहयुक्त जीवन कैसे जिएं ?इसका संदेश अन्ना का जीवन देता है.जो सोंचते हैं कि लोग मेरे सहयोग मेँ कोई आगे नहीं आता व समाज में सब स्वार्थी होते हैँ.वे अपने मन को शान्त कर जरा अपने बारे मेँ सोँचें कि हमने कब किसी की निस्वार्थ भाव से मदद करनी चाही है ?हममेँ क्या दूसरों के प्रति परोपकार की भावना रही है.?

अन्ना के जीवन से सिद्ध होता है कि दूसरों के लिए त्याग व समर्पण करने वाले कभी अकेले व तन्हा नहीं होते.

जीवन मेँ कुछ पाना है तो नैतिकता ,चरित्र ,,समर्पण,ज्ञान,दया,परोपकार, ,मधुरता, उत्साह,साहस, आदि को स्वीकारना आवश्यक है.


हम युवक चाहें तो 73 वर्षीय अन्ना हजारे से काफी कुछ सीख सकते हैँ.देखा जाये तो हम ईमानदारी से न ही स्वार्थी हैं न ही परमार्थी. यदि हम अपने व अपने समाज का भला चाहते हैं तो हम अपने आराध्य को निरन्तर स्मरण मेँ रखते हुए अपने कैरियर के लिए परिश्रम करते हुए अन्ना हजारे के विचारों पर चलने का प्रयत्न करें.समाज के बीच द्वेष जाति भावना से ऊपर उठ देश की एकता व अखण्डता के लिए जीना सीखेँ.

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