सत्र 2011-12 ई0 एक जुलाई से प्रारम्भ हो चुका है.अस्सी प्रतिशत विद्यालय शिक्षा के नाम पर ठगी कर रहे हैं .नये सत्र के साथ कोई नया संकल्य नहीँ,किसी तरह के कोई सुधार व सृजनात्मक कार्य का जज्बा नहीँ.बस,वही पुराना ढररा .पिछले सत्रों की तरह.सत्र के अन्त में जरुर अगले सत्र के लिए वादे लेकिन नया सत्र प्रारम्भ होने के साथ फिर वही पुराना सब कुछ.व्यवस्था परिवर्तन के लिए कोई नहीं जज्बा.
विद्यालय सरकारी हों या गैरसरकारी , अस्सी प्रतिशत से ज्यादा विद्यालय आदर्श व मूल्य खो चुके है.वे सिर्फ कागजों पर आदर्श व मूल्यों को जीते हैं.आचरण से सिर्फ वैश्य व शूद्र हैँ.
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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया
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