" मैंने उन घटनाओं को जिनका लिखना सावधानी की दृष्टि से बड़ा अनुचित था, केवल दीन के दर्द तथा - ' इस्लाम के स्वर्गीय धर्म'-के प्रति जो अब अप्राप्य हो गया है,के शोक के कारण लिखने की धृष्टता की है।"--इन पंक्तियों में 'इस्लाम के स्वर्गीय धर्म'-से क्या मतलब है?
इन पंक्तियों को लिखने वाला कौन है?
मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूँनी इन पंक्तियों को लिखने वाले हैं।
उन्होंने आगे लिखा है-यह इतिहास वह इस्लाम की अवनति से दुःखी हो तथा अपने विधर्मियों से घृणा, द्वेष एवं जलन के कारण लिख रहा है।
बदायूँनी के पिता का नाम शेख मुलुक शाह था।इनका जन्म 21 अगस्त सन 1540 ई0 में तीवा नामक स्थान पर हुआ था। 18 वर्ष की आयु में आप पिता के साथ आगरा आ गए। सन1561 ई0 में पिता की मृत्यु के बाद आगरा से बदायूँ आ गए। बदायूँनी संस्कृत, अरबी, फ़ारसी आदि भाषाओं का ज्ञाता था। उसने अकबर के आदेश से अनेक ग्रंथ लिखे थे।
आखिर ' इस्लाम के स्वर्गीय धर्म'-से मतलब क्या है?
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