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Wednesday, August 12, 2020

प्रकृति पर हमारे आचरण व नजरिया का असर पड़ता है,इसका नहीं कि हम खुद को आस्तिक समझते हैं या नास्तिक?हिन्दू समझते हैं या गैर हिन्दू?मुसलमान समझते हैं या गैर मुसलमान :: अशोकबिन्दु

 बाबूजी महाराज ने कहा है -

अपने को आहत नहीं करना चाहिए. अपने को दुख या सुख ,यह भाव में नहीं रखना चाहिए!


 बाबूजी ने कहा है -

अनंत यात्रा प्रलय के बाद शुरू होती है!

 प्रलय किसका???


 कल एक Facebook मित्र ने  निम्न विचार भेजें!! आपको भेज रहा हूं !!किसी ने कहा है -आचार्य है मृत्यु!

 आचार्य संस्कृति है आचरण संस्कृति !!

जो ऋषि मुनि संस्कृति के बाद पैदा हुई !!

ऋषि मुनि नबी कौन थे ??

ऋषि मुनि ने वेद अर्थात ज्ञान का 


अर्थात जो कण कण में व्याप्त है 

अर्थात जो सृष्टि के वक्त उपस्थित था-


 उसका एहसास किया!!!!!


वे ही वास्तव में सनातन थे!!


आज जो अपने को सनातनी कहते है,


वे वैदिक ज्ञान के बिना सनातनी कैसे???


तुम अपने को हिन्दू समझो या ग़ैरहिन्दू?

तुम  अपने को मुसलमान समझो या ग़ैरमुस्लमान!!

इससे प्रकृति पर असर नहीं पड़ता!!


असर पड़ता है-तुम्हारे आचरण का!!


*खुशवंत सिंह के लिखे ज़िंदगी के बारह सूत्र।*

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*इन बारह सूत्रों को पढ़ने के बाद पता चला कि सचमुच खुशहाल ज़िंदगी और शानदार मौत के लिए ये सूत्र बहुत ज़रूरी हैं।*


*1. *अच्छा स्वास्थ्य* - अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं। 


*2. ठीक ठाक बैंक बैलेंस* - अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है।


*3. अपना मकान* -

 मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है।


*4. समझदार जीवन साथी* - जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना।


*5. आज्ञाकारी सन्तान*

अगर आपकी संतान कहना मानने वाली, इज्जत देने वाली है तो आपका जीवन स्वर्ग हो जाएगा।


*6. दूसरों की उपलब्धियों से न जलना*  - 

कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज़्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियां खत्म होने लगती हैं। 


*7. गप से बचना* - लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा।


*8. अच्छी आदत* - कोई न कोई ऐसी हॉबी विकसित करें, जिसे करने में आपको मज़ा आता हो, मसलन गार्डेनिंग, पढ़ना, लिखना। फालतू बातों में समय बर्बाद करना ज़िंदगी के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा अपराध है। कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे आपको खुशी मिले और उसे आप अपनी आदत में शुमार करके नियमित रूप से करें।


*9. ध्यान* - रोज सुबह कम से कम दस मिनट ध्यान करना चाहिए। ये दस मिनट आपको अपने ऊपर खर्च करने चाहिए। इसी तरह शाम को भी कुछ वक्त अपने साथ गुजारें। इस तरह आप खुद को जान पाएंगे। 


*10. क्रोध से बचना* - कभी अपना गुस्सा ज़ाहिर न करें। जब कभी आपको लगे कि आपका दोस्त आपके साथ तल्ख हो रहा है, तो आप उस वक्त उससे दूर हो जाएं, बजाय इसके कि वहीं उसका हिसाब-किताब करने पर आमदा हो जाएं।


*11. प्रसन्नचित्त रहना -*

आप हर हाल में प्रसन्न रहे

 आपका चेहरा हर समय खिला हुआ होना चाहिए। और खुशी आप सबको बांटे।


*12. अंतिम समय* -

 जब यमराज दस्तक दें, तो बिना किसी दुख, शोक या अफसोस के साथ उनके साथ निकल पड़ना चाहिए अंतिम यात्रा पर, खुशी-खुशी। शोक, मोह के बंधन से मुक्त हो कर जो यहां से निकलता है, उसी का जीवन सफल होता है।


*मुझे खुशवंत सिंह इन बातों को पढ़ने के बाद लगने लगा है कि ज़िंदगी के भी डॉक्टर होते हैं। ऐसे डॉक्टर ज़िंदगी बेहतर बनाने का फॉर्मूला देते हैं । ये ज़िंदगी के डॉक्टर  खुशवंत सिंह की ओर से ज़िंदगी जीने के लिए दिए गए नुस्खे है*

*धन्यवाद*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻




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