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Monday, September 27, 2010

02 अक्टूबर:सभ्यता की पहचान महात्मा गांधी

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From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Mon, 27 Sep 2010 15:41 IST
Subject: 02 अक्टूबर:सभ्यता की पहचान महात्मा गांधी

हमने लोगोँ को कहते सुना है कि मजबूरी का नाम महात्मा गांधी लेकिन महात्मा गांधी का दर्शन,धर्म व अध्यात्म की ओर जाने का महान पथ है.वे आधुनिक दुनिया के श्रेष्ठ जेहादी हैँ.वे मजबूरी कैसे हो सकते हैँ ?महात्मा गांधी ने स्वयं कहा था कि अन्याय को सहना कायरता है.क्या हम कायर नहीँ ?आज के बातावरण से हम सन्तुष्ट भी नहीँ हैँ और खामोश भी हैँ.ऐसे मेँ हम पशुओँ की जिन्दगी से भी ज्यादा गिरे
हैँ.

महात्मा गांधी वास्तव मेँ सभ्यता की पहचान हैँ.हम अभी उस स्तर पर नहीँ हैँ कि उन्हेँ या अन्य महापुरुष या धर्म को समझ सकेँ?अपनी इच्छाओँ की पूर्ति के लिए जवरदस्ती,दबंगता,हिँसा,दूसरे की इच्छाओँ को कुचलना,आदि पर उतर आना हमारी सभ्यता नहीँ है.उन धर्म ग्रन्थोँ व महापुरूषोँ को मैँ पूर्ण धार्मिक नहीँ मानता जो हिँसा के लिए प्रेरणा देते हैँ.हम शरीरोँ का सम्मान करेँ कोई बात नहीँ
लेकिन उनमेँ विराजमान आत्मा व उसके उत्साह का तो सम्मान करेँ.हम किसी के उत्साह को मारने के दोषी न बनेँ.
उदारता,मधुरता,सद्भावना,त्याग,आदि का दबाव चित्त पर होना ही व्यक्ति की महानता है.चित्त पर आक्रोश,बदले का भाव, खिन्नता,हिँसा ,जबरदस्ती,दबंगता,आदि व्यक्ति के विकार हैँ जो कि व्यक्ति के सभ्यता की पहचान नहीँ हो सकती.भारतीय महाद्वीप के व्यकतियोँ के आचरणोँ को देख लगता है कि अभी असभ्यता बाकी है.मीडिया के माध्यम से अनेक घटनाएँ नजर मेँ आती है कि ईमानदार स्पष्ट
कर्मचारियोँ,सूचनाधिकारियोँ,आदि पर कैसे व्यक्ति हावी हो जाता है.यहाँ तक कि हिँसा पर भी उतर आता है.यहाँ की अपेक्षा पश्चिम के देश कानूनी व्यवस्था के अनुसार ज्यादा चलते हैं.यहाँ के लोग तो यातायात के नियमोँ तक का पालन नहीँ कर पाते.

बात को बात से न मानने वाले कैसे सभ्य हो सकते ?शान्तिपूर्ण ढंग से अपनी बात कहने वालोँ के सामने शान्तिपूर्ण ढंग से जबाब न देने वाले क्या असभ्य नहीँ?जिस इन्सान के लिए अनुशासन हित जबरदस्ती या दबंगता का सहारा लेना पड़े तो समझो वह अभी पशुता व आदिम संस्कृति मेँ है,संस्कारित नहीँ.


" भय बिन होय न प्रीति"

भय के कारण अनुशासन या संस्कार एक प्रकार से ढोंग व पाखण्ड है.
भय व प्रीति अलग अलग भावना है.जरा,अपने अन्दर भय व प्रीति से साक्षात्कार कीजिए.मेरा अनुभव तो यही कहता है कि
प्रीति मेँ भय और खत्म हो जाता है.

ASHOK KUMAR VERMA'BINDU'


A.B.V.I.COLLEGE,

MEERANPUR KATRA,

SHAHAJAHANPUR,

U.P.

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