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Friday, September 17, 2010

कथा: मुर्झाया पुष्प लेखक:अशोक कुमार वर्मा' वर्मा'/ www.akvashokbindu.blogspot.com

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From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Fri, 17 Sep 2010 05:00 IST
Subject: कथा: मुर्झाया पुष्प


लेखक:अशोक कुमार वर्मा' वर्मा'/


www.akvashokbindu.blogspot.com

सेरेना के आत्म कथा से-


'सर जी' मीरानपुर कटरा मेँ आने के चार वर्ष पुवायाँ शहर मेँ थे.वे जहाँ एक शिशु मन्दिर मेँ अध्यापन कर रहे थे. उनका एक प्रिय छात्र था -पुष्प.पुष्प कक्षा दो का छात्र था.पढ़ने मेँ तो वह ठीक था लेकिन दबाव व भय से ग्रस्त था. 'सर जी ' नम्र व्यवहारोँ ने उसे 'सर जी' के नजदीक ला दिया था.पुष्प के पिता दबंगवादी व आलोचनावादी थे .जो परिवार के अन्दर नुक्ताचीनी से ही अपना समय व्यतीत करते
थे.जिसका प्रभाव अन्तरमुखी पुष्प पर ऋणात्मक पड़ा.

एक दिन उसकी माँ का पत्र 'सर जी' के पास आया.जिससे पता चला कि पुष्प अब इस दुनिया मेँ नहीँ रहा.


उस पत्र मेँ -" आप थे तो अच्छा लगता था.आप घर पर आते थे तो और अच्छा लगता था. अब भी अच्छा लगता है, अन्यथा आपका शिष्य कैसे कह लाऊँगा?आपने कहा था कि सिर्फ ईश्वर अपना है , आत्मा अपनी है और सब यहीँ छूट जाता है --इस सेन्स मेँ अनेक बार पुष्प मुझसे बोला था. यह भाषा तो मैँ लिख रही हूँ. आज वह इस दुनिया मेँ नहीँ है. अपने पिता की उसके अस्तित्व पर बार बार चोटेँ........ पिता की मार से एक दिन बेहोश हो
गया.काफी इलाज हुआ.बेहोशी टूटी पुष्प की ,तो उसे आप की याद आयी और कहा कि आपको पत्र लिखे.अत:मैँ पत्र लिख रही हूँ ,मैँ पुष्प की माँ."

पुष्प को एक तालाब के किनारे जमीन मेँ दफना दिया गया था. एक अघोरी की पुष्प पर निगाह रहती थी, जब पुष्प दफन हो गया तो....?!


घनी अन्धेरी बर सात की रात ! वह अघोरी मिट्टी हटा कर पुष्प की लाश लाकर जंगल के बीच एक खण्डहर मेँ आ गया.जहाँ काली देवी का मन्दिर भी था.

पुष्प की लाश को स्नान करवाने के बाद उसे एक पवित्र आसन पर लिटा दिया गया था.आस पास धूपवत्ती व अगरवत्तियाँ लगा दी गयीँ थी.हवन कुण्ड की आग तेज हो गयी थी.अघोरी मन्त्र उच्चारण के साथ हवन कुण्ड मेँ आहुतियाँ देने लगा था.आस पड़ोस मेँ साधु व साध्वी शान्तभाव मेँ बैठे थे या कुछ दूरी पर खड़े थे.वहाँ उपस्थित एक युवती पुष्प की लाश को बार बार देखे जा रही थी.

वह युवती.......?!


वह युवती!

खैर....?!


जंगल के बीच से गुजरती एक नदी ! नदी के किनारे स्थित एक टीले पर एक युवती की मूर्ति और ऊपर छत्र.नीचे चबूतरे पर लिखा था-
'जय शिवानी'. उस चबूतरे पर थी अब पुष्प की लाश.पीछे कुछ दूरी पर पशुपति की भव्य मूर्ति .


वह युवती नग्नावस्था मेँ मंत्रोच्चारण के साथ नृत्य मेँ मग्न थी.

वहाँ और कोई न था.

और.....


कुछ दूरी पर एक खण्डहर मेँ काली देवी की प्रतिमा के सामने एक बुजुर्ग साधु जो कि काले व लाल वस्त्रोँ मेँ था ,हवन कर रहा था.


उस अघोरी के स्थान से युवती पुष्प की लाश को बड़ी मुश्किल से यहाँ तक ला पायी थी.


इस युवती पर एक वैज्ञानिक की जब नजर पड़ी तो...... !?


मानीटर पर इस युवती के चित्र !

इन चित्रोँ को देखते देखते वैज्ञानिक अपने रूम मेँ बैठा बैठा सोंच रहा था कि आज के युग मेँ भी तन्त्र विद्याओँ पर विश्वास ?


"सर!" - कमरे मेँ एक युवती ने प्रवेश किया.


"आओ बेटी ."


"सर,इस युवती का नाम है-संध्या बैरागी........."


"अरे सेरेना,तुमने तो बहुत जल्दी इस युवती के बारे मेँ पता चला लिया."


"सर,यह सन्ध्या बैरागी जिस बुजुर्ग साधु के साथ रह रही है,उस बुजुर्ग साधु को सत्रह साल पहले अर्थात जून सन1993ई0मेँ नदी के सैलाब मेँ बह कर आयी एक गर्भवती महिला मिली थी,जो बेहोश थी.वह महिला तो जिन्दा न बच सकी लेकिन उससे पैदा सन्ध्या बैरागी को बचा लिया गया.."


" संध्या बैरागी नामकरण कैसे...?"


"उसकी माँ के हाथ मेँ लिखा था रजनी बैरागी. इसी आधार पर....."


"सर,क्या हम इस बालक की लाश पर प्रक्टीकल नहीँ कर सकते ? "


"सेरेना,तुम ठीक कहती हो."


सेरेना.....?!

एक पुस्तक जिस पर बड़े बड़े अक्षरोँ मेँ लिखा था -सेरेना.जिस पर ऊपर के एक कोने पर लिखा था-मेरे जीवन के कुछ पल.


नादिरा खानम भविष्य त्रिपाठी के करीब आते हुए बोली-


"सेरेना के आत्म कथा से क्या कुछ मिला आपको?"


भविष्य त्रिपाठी खामोश ही रहा.

"""***"""


सन2017ई
0 के 22जून !


एक युवक भविष्य त्रिपाठी व नादिरा खानम के सामने उपस्थित हुआ.


" गुड मार्निँग सर! गुड मार्निग मैडम!"


"गुड मोर्निग!"


"..आप का स्वागत है.अब आप मेरे मित्र भी हो,हमारी टीम के सदस्य भी हो-पुष्प."


" थैँक यू,सर."


पुष्प कन्नौजिया इधर उधर देखते हुए -" सर "



"पुष्प!लगता है कि अपने आलोक वम्मा सर को चार साल बिस्तर पर और रहना होगा."


"क्या,नौ साल हो गये .अब चार साल और...?!"


"हाँ,सोरी पुष्प,सोरी! लेकिन विश्वास रखो मुझ पर.एक दिन ऐसा आयेगा कि वह चलेँगे बोलेँगे.मुझे चिन्ता है उनके मस्तिष्क की.बस, उनका मस्तिष्क सलामत रहे.उन्हेँ'साइबोर्ग'बना दिया जाएगा"

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