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Thursday, September 30, 2010

थारु समाज का कोई पुरसाहाल नहीँ !

----Forwarded Message----
From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Fri, 01 Oct 2010 06:49 IST
Subject: थारु समाज का कोई पुरसाहाल नहीँ !

राजस्थान के थार मरुस्थल से आये अब उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश के तराई भाग मेँ बसा थारू समाज देश की आजादी के बाद अपने भोलेपन के कारण शोषण का शिकार होता रहा और वर्तमान मेँ अब दयनीय स्थिति मेँ पहुँच चुका है.आज से सौ वर्ष पूर्व थारू समाज बहुत ही धनी था लेकिन आज ज्यादा तर लोग गरीबी रेखा से नीचे का जीवन जी रहे हैँ.
तराई के वन क्षेत्र को स्वर्ण भूमि बनाने वाले थारू समाज का खून पसीना लगा लेकिन इसी भूमि पर अब अनेक लोग गिद्द जैसी पैनी निगाहेँ लगाये हैँ और थारु समाज उनका शिकार हो रहा है. थारु समाज मेँ भोलेपन अशिक्षा गरीबी पिछड़ेपन का लाभ उठाकर भूमि माफिया व्यापारी वर्ग उच्च किसान आदि लगातार इनके साथ खिलवाड़ कर रहा है.


इससे अच्छा तो ब्रिटिश शासन था कि उस वक्त थारु भूमि की खरीद बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया.अब सरकार के पास थारू समाज के लिए आरक्षण के साथ अनेक योजनाएं हैँ लेकिन तब भी थारु समाज का शोषण नहीँ रुक रहा है.

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