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Saturday, September 11, 2010

विज्ञान कथा : वो एलियन्स........

----Forwarded Message----
From: akvashokbindu@yahoo.in
To: akvashokbindu@yahoo.in
Sent: Sat, 11 Sep 2010 16:12 IST
Subject: विज्ञान कथा : वो एलियन्स........


सन2007ई0 की जून!
इन्हीँ दिनोँ.....

"इण्डिया ने 1857 क्रान्ति की 150 वीँ वर्षगाँठ मनानी शुरु कर दिया है.अभी नौ महीने और वहाँ इस उपलक्ष्य मेँ कार्यक्रम मनाये जाते रहेँगे.इस अवसर पर नक्सली एक और क्रान्ति की योजना बनाए बैठे हैँ,कुछ और संगठन इस अवसर पर इण्डियन मिशनरी को ध्वस्त कर देना चाहते हैँ. "

"जार्ज सा'ब!आप अमेरीकी विदेश मन्त्रालय मेँ सचिव हैँ,आप जान सकते हैँ अमेरीकी विदेश नीति क्या है? यह विचारणीय विषय है कि आपके राष्ट्रपति का जनाधार अमेरीका मेँ ही नीचे खिसका है."

" हाँ ,राष्ट्रपति जी इसे महसूस करते हैँ."


"हूँ!.....और यह सवाल कभी न कभी उठेगा कि अमेरीकी फौज ने सन 1947 मेँ जिन एलियन्स को अपने अण्डर मेँ लिया था,आखिर उनका क्या हुआ ? "

" यह सब झूठ है , आप............"

" बैठे रहिए , जार्ज सा'ब बैठे रहिए . बौखलाहट मत लाईए."

" हूँ!"


" हमारी अर्थात ब्रिटिश सरकार इस स्थिति का एहसास करने लगी है जब हम पर एलियन्स आक्रमण करेँगे?"


" अपनी कल्पनाएँ अपने पास रखो ."


" तुम एक वास्तविकता को झुठला रहो हो.."

" झुठला क्या रहा हूँ?और तुम.....?! अन्दर ही अन्दर तुम ' सनडेक्सरन' धरती के ग्यारह फुटी तीन नेत्रधारी किस व्यक्ति का अपहरण कर उसे ट्रेण्ड कर 'पशुपति'के रूप मेँ इस धरती पर पेश कर भारतीयोँ की धर्मान्धता को भुनाने का ख्वाब देखते हो. तुम लोगोँ का दबाव कलकत्ता मेँ कुछ पाण्डालोँ को खरीदने का भी है ."



जार्ज उठ बैठा.

" बैठिए-बैठिए . कैसे चल पड़े ? हम आपकी असलियत से अन्जान नहीँ हैँ."


"जनवरी 1990ई0 की उस बैठक का स्मरण है क्या ? हम जानते हैँ कि हमारे भू वैज्ञानिकोँ ने घोषणा की है कि भारतीय प्रायद्वीप की भूमि के अन्दर दरार पड़ रही है जो अरब सागर को मानसरोबर झील से मिला देगी और भारत दो भागोँ मेँ बँट जाएगा. इस दरार को बढ़ाने के लिए हमारे कुछ वैज्ञानिक कूत्रिम उपाय मेँ लगे हुए हैँ. दूसरी ओर समुन्द्र मेँ सुनामी लहरेँ लाने की कृत्रिम व्यवस्था की जा रही है.
अन्तरिक्ष व अन्य आकाशीय पिण्डोँ पर भी अधिकार स्थापित करने की योजना है.."

सब चौँके-"अरे, यह क्या ? "


कमरे का दरबाजा अपने आप से खुल गया.कुछ सेकण्ड के लिए कमरे की लाइटेँ मन्द पड़ गयीँ.


" डकदलेमनस ! "- एक के मुख से निकला.


दरबाजे पर तीन नेत्रधारी ग्यारह फुटी एक व्यक्ति उपस्थित हुआ.जार्ज उसके स्वागत मेँ मुस्कुराते आगे बड़ा.


" आओ, डकदलेमनस!"


डकदलेमनस बोला-" यह नहीँ पूछा,कैसे आना हुआ?"


"सर ! "



डकदलेमनस
फिर बोला-
"तुम पृथु बासी कितने स्वार्थी हो? तुम सब स्वार्थी हम लोगोँ का सहयोग पाकर अपने स्वार्थोँ का भविष्य ही देख रहे हो ?इस धरती पर जीवन को बचाने के लिए मुहिम छेड़ना तो दूर अपनी कूपमण्डूकताओँ मेँ जीते इस धरती पर मनुष्यता तक को नहीँ बचा पा रहे हो. खानदानी जातीय मजहबी राष्ट्रीय भावनाओँ आदि से ग्रस्त हो, मनुष्यता को बीमार कर ही रहे हो. यहाँ से लाखोँ प्रकाश दूर हमारी तथा अन्य
एलियन्स की धरतियो पर अपनी विकृत भेद युक्त सोँच नियति का प्रभाव फैलाने चाहते हो. जून 1947ई 0 मेँ यहाँ आये वे एलियन्स आप लोगोँ ने गायब कर दिए थे लेकिन हम लोगोँ को क्या भुगतना पड़ा? नहीँ जानते हो. इस धरती पर जीवन का जीवन खतरे मेँ है ही .हम लोगोँ का एक आक्रमण ही इस धरती को श्मसान बना देगा ? आखिर वो एलियन्स कहाँ गये? बड़े श्रेष्ठ बनते हो व खुद ही अपने को आर्य कहते हो..? लेकिन तुम लोगोँ के
आचरण व व्यवहार क्या प्रदर्शित कर रहे हैँ.? अपनी फैमिली के मैम्बर की मुस्कान छीन लेते हो,पृथ्वी की प्रकृति ,जीवन की ,अन्तरिक्ष की मुस्कान के लिए क्या करोगे ? तम्हारी धरती जाए भाड़ मेँ,बस हमेँ उन एलियन्स की रिपोर्ट चाहिए.."


"देखिए सर, 1947ई0मेँ हम लोग पैदा भी नहीँ हुए थे."


"उनके उत्तरधिकारी तो तक हो? उनका काम तो आगे बढ़ा रहे हो?"


" सर,यहाँ हमारी कुछ कण्डीशन हैँ जिससे हम मजबूर हो जाते हैँ?"

"एक वर्ष का मौका और दो,इन्सानियत व जीवन के नाते."


" हूँ! इन्सानियत व जीवन के नाते? किस मुख से वकालत करते हो इन्सानियत व जीवन की? अपनी कूपमण्डूकता के बाहर का सोँच ऩहीँ पाते, सिर्फ मतभेद व विध्वन्स के सिवा.एक वर्ष बाद फिर आऊँगा." - डकदलेमनस चल देता है.

"रुकिए सर, इतने दूर से आये हो तो......"


"यह दूरी, मेरे लिए नहीँ है दूरी. तुम लोग इस पर काम करो आखिर वो ए लियन्स कहाँ गये ? एक साल बाद फिर आऊँगा. अगली बार 'न 'का मतलब प्रलयकारी होगा ."

डकदलेमनस कमरे से बाहर हो गया.

फिर-

भविष्य त्रिपाठी कम्प्यूटर मानीटर से अपनी दृष्टि हटाते हुए नादिरा खानम को देखने लगा.


"भविष्य, फिर एक साल बाद.....?!"

अशोक कुमार वर्मा' बिन्दु'
ए बी वी इ कालेज

मीरानपुर कटरा

शाहजहाँपुर,उप्र

1 comment:

Arvind Mishra said...

बढियां कहानी मगर कथानक कुछ और फुलायिये!